स्वामी विवेकानंद के बारे में जाने


[स्वामी विवेकानंद का जन्म एक बंगाली कायस्थ परिवार में 12 जनवरी 18 से 63 ईसवी में हुआ था,मृत्यु 4 जुलाई 1902]


प्रारंभिक जीवन


स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम वीरेश्वर रखा गया था परंतु बोलचाल भी उन्हीं लोग नरेंद्रनाथ कहते थे,इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जो कि एक प्रसिद्ध वकील थे, माता का नाम भुनेश्वरी देवी थी  जो कि एक धार्मिक महिला थीं इनका  ज्यादा समय भगवान शिव की पूजा आराधना में ही व्यतीत होता था। बचपन से ही स्वामी विवेकानंद तीव्र बुद्धि के थे साथ ही नटखट भी थे


शिक्षा


यह दर्शन धर्म पुराण भगवत गीता महाभारत रामायण इतिहास सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में अधिक उत्साह रखते थे । हिंदू शास्त्रों में इनकी रूचि बहुत ज्यादा थी। नियमित रूप से व्यायाम करते थे और खेलों में भी इनकी रूचि थी। इन्होंने पश्चिमी सभ्यता का भी अध्ययन किया था। ये एक सचमुच अदभुत विद्यार्थी थे।

1893 में अमेरिका में स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में जिन्हें मात्र 2 मिनट का समय दिया गया था उन्होंने अपने भाषण का शुरुआत 'मेरे अमेरिकी बहनों और भाइयों' से किया  और उनका यह लाइन ने लोगो का दिल जीत लिया। स्वामी दयानंद जी के गुरु रामकृष्ण परमहंसा  थे, कहा जाता है कि जब स्वामी जी रामकृष्ण परमहंसा  से पहली बार मिलने गए थे तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई" कौन" तो स्वामी जी ने उत्तर दिया यही तो जानने आया हूं कि मैं कौन हूं। 

स्वामी विवेकानंद सनातन धर्म के विख्यात आध्यात्मिक गुरु कहलाते हैं इन्होंने सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप में किया। यह अपने गुरु रामकृष्ण परमहंसा  से काफी प्रभावित थे इनकी मृत्यु के बाद रामकृष्ण परमहंसा  मिशन भी चलाया। काफी कम उम्र में ही समझ चुके थे कि सभी जीवो में परमात्मा का अस्तित्व है। कहा कि जो मनुष्य जरूरतमंद मनुष्य की सेवा करता है तो वह परमात्मा का ही सेवा करता है। इन्हें सन्यासी देशभक्त के रूप में भी जाना जाता है। इन्होंने युवाओं के लिए अनेकों संदेश दिए हैं जन्म दिवस राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।.


महिलाओं के प्रति क्या भाव थे 


इनकी ख्याति देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में फैली हुई थी एक बार की बात है स्वामी जी विदेश में थे किसी धर्म समारोह  के उद्देश्य से, उस समय में बहुत सारे विदेशी लोग आए हुए थे जिससे एक महिला उनसे काफी प्रभावित हो गई स्वामी जी के पास आकर बोली मुझे आप ही की तरह गौरवशाली पुत्र चाहिए इसलिए आप मुझसे विवाह कर लीजिए। सभी  स्वामी जी ने इस पर उत्तर दिया क्या आपको पता है कि मैं एक सन्यासी हूं और भला कोई सन्यासी विवाह कैसे कर सकता है आप चाहे तो आप मुझे अपना पुत्र बना ले जिससे मेरा सन्यास  भी नहीं टूटेगा और आपको आपका पुत्र भी मिल जाएगा। यह सुनकर विदेशी महिला उनके पैरों तले गिर पड़ी और बोली आप तो साक्षात ईश्वर है आप किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म से पीछे नहीं हटने वाले हैं।

 इन्होंने मात्र 30 साल की उम्र में अमेरिका और युरोप के देशों में सनातन संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर के एक अलग पहचान स्थापित किए सचमुच इन्होंने जो कर दिखाया है वो अदभुत है तभी तो रविन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि अगर आप भारत को जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए  क्या आपको पता है अपने अंतिम समय में उन्होंने क्या कहा था - कहा था कि  एक और विवेकानंद को जन्म लेना होगा यह समझने के लिए की इस विवेकानंद ने क्या किया था।


विवेकानंद ओजस्वी के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।


उनके शिष्यों ने बताया कि जिस तरह ईओ प्रतिदिन किया करते थे उसी तरह 4 जुलाई 1902 प्रातः उठ कर ध्यान किया और ध्यान की ही मुद्रा में ब्रमहरंद्र को भेदकर समाधिस्थ हो गए। 

बेलूर नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

उनके शिष्यों ने उनके स्मृति में एक मन्दिर भी बनवाया।


"उठो जागो और तबतक नहीं रुको जबतक लक्ष्य को प्राप्ति न हो जाए" -  स्वामी विवेकानंद


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